कर्म योगी सन्यासी जीवन क्यों आवश्यक है?

कर्म योगी सन्यासी जीवन एक आवश्यक यात्रा है जिसके निम्न हेतु हैं: 

  • –  तनाव या अधूरापन दूर करना  

  • –  दुःख, असफलता, अशांति, संशय से मुक्ति पाना 

  • –  अन्धकार और अज्ञान से मुक्ति पाना 

  • –  माया और संसार से परे परम ज्ञान प्राप्त करना 

  • –  सांसारिक उलझनों से मुक्ति का मार्ग खोजना 

  • –  जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति का मार्ग जानना  

  • –  जीवन के असंतुलन से मुक्ति पाना 

  • –  राग और द्वेष से मुक्ति के उपायों को जानना 

  • –  भय से अभय होने के सूत्र जानना 

  • –  एक उत्कृष्ट जीवन जीना 

  • –  व्यवसाय या नौकरी या पेशे में एकाग्रता और सफलता पाना 

  • –  बेहतर रिश्ते और सुन्दर संसार  निर्माण करना 

  • –  आध्यात्मिक जागृति पाना 

  • –  जीवंत जीवन जीना 

  • –  निंदा-चुगली  से मुक्ति पाना    

  • –  दुःख के समय में सम्बल और शक्ति प्राप्त करना 

  • –  इस लोक और परलोक को सफल बनाना

कर्म योगी सन्यासी कौन है?

कर्म फल की चाह नहीं और कर्म का बंधन  नहीं 
वही कर्मयोगी संन्यासी है। कर्म योग सन्यासी वह है जो 

  • सांसारिक भी है और सन्यासी भी है

-भोगी भी है और योगी भी है 

-भागा नहीं बल्कि जागा हुआ है 

-परमसत्य का खोजी भी है और अज्ञानी भी नहीं  

-काया, माया व कंचन में भी है और मुक्त भी है 

-व्यवहार में भी है और मुक्त भी है 

-कीचड़, गन्दगी में भी है लेकिन कमल है 

-परिवार में भी है और जिम्मेदार भी है 

-वैरागी भी है और प्रेमी भी

-प्रशासन भी है और अनुशासन भी है 

-दुःख है लेकिन आनंदित है 

-सुख है लेकिन लिप्त नहीं 

-रस है लेकिन परम रास है 

-कर्म भी है और किसी से अपेक्षा भी नहीं है 

-कामना है लेकिन जागृत सतकामना है  

-जीवन युद्ध भी है और बांसुरी भी है 

-ऐश्वर्य भी है और वीतराग भी है

-जो विषपान भी करता है और मस्त है 

कर्म योगी सन्यासी क्यों बने?

–  अपने जीवन को तनाव मुक्त – आनंद युक्त संतुलित, व्यावहार कुशल, पूर्ण, और सफल            बनाओ

  • –  कर्म-बंधन से मुक्त जीवन जीने के लिए 

  • –  परम सत्य और आत्म ज्ञान को उपलब्ध होने का अद्भुत मार्ग है.

  • –  सांसारिक और आध्यात्मिक यात्रा एक साथ करो 

  • –  जीवन त्याग-भोग-योग से परिपूर्ण बनाओ – तेन त्यक्तेन भुञ्जितः 

  • –  त्याग की कला और आसक्ति रहित कर्तव्य पालन करना 

  • –  भगवान् कृष्ण ने स्वयं एक पारिवारिक व्यक्ति के रूप में कर्म-योग संन्यास की अनुशंसा की       है 

कर्म योगी सन्यासी के लाभ और उद्देश्य क्या हैं?

  • –  प्रसन्न, सफल, शांत, दीर्घ और स्वस्थ जीवन जियें 

  • –  परम सत्य, ज्ञानऔर मोक्ष प्राप्त करें 

  • –  सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों तरह का जीवन जियें 

  • –  सांसारिक संतुलन, सफलता और मुक्त जीवन का भी आनंद लेवे 

  • –  भीतर से सन्यासी और राजा या रानी की तरह रहें, जैसे राजा जनक

  • –  एक तनाव रहित सफल व्यवसाय या नौकरी या पेशा करें 

  • –  स्वस्थ शरीर, मन और बेहतर रिश्ते निभाते हुए मुक्त रहें 

    आध्यात्मिक और संपूर्ण जागृति के साथ जीवन जियें  

  • –  जीवंत, रिचार्ज, तरोताजा और संतुलित जीवन जियें  

  • –  शेयर और केयर के साथ जीवन महक उठे  

  • –  सुख-दुःख में सम भाव की प्राप्ति हो 

  • –  इस जीवन में दो दिशाओं की यात्रा का आनंद एक साथ लें

कर्म-योग क्या है?

  1. –  कर्म-योग का अर्थ है अपेक्षा या आसक्ति रहित कर्म करना। 

  2. –  कृष्ण कहते हैं कि जब तुम कर्म करते हो, अच्छे या बुरे दोनों के कर्म फल से नहीं बंधते हो तब कर्मयोग        फलित होता है। कर्मयोगी        यह जान लेता है कि कोई भी कर्म चाहे अच्छा या बुरा दोनों ही पानी पर लाठी       मारने के समान है। यही अवस्था सन्यास में भी फलित       होती है 

  3.  
  4. –  परिवार, संसार और प्रियजनों के बीच रहकर आसक्ति रहित कर्म करना, उन्हें अस्वीकार या त्यागना नहीं बल्कि कमल के फूल की तरह      उनके  साथ रहकर खिलना, महकना और सौंदर्य बिखेरना ही कर्मयोग है.

संन्यास का का क्या अर्थ है ?

  1. सन्यास शुद्धि, संतुलन और मोक्ष प्राप्ति का सबसे पुराना, महानतम और अद्भुत मार्ग है। 

  2. –  सन्यास का अर्थ है सत्य से न्यास या परम सत्य से एकाकार।

  3. –  कर्म फल बंधन से मुक्ति सन्यास है 

  4. –  अक्सर कहा जाता है कि संन्यास के लिए व्यक्ति को पूरी तरह से संसार,      मोह-माया का त्याग कर जंगल में जाकर एकांत जीवन जीना होता है।       लेकिन कृष्ण इसका खंडन करते हुए कहते हैं कि तुम्हें अपने सांसारिक   कर्तव्यों, प्रियजनों और परिवार से भागने की जरूरत नहीं है। 

  5. जो भीतर से जागा है वह सन्यासी चाहे वह सांसारिक ही क्यों न हो.

कर्म योगी सन्यासी की दीक्षा किससे ली जाए ?

किसी योग्य गुरु से जो  स्वयं 

  • –  कर्म योगी हो 

  • –  सन्यासी हो 

  • –  गृहस्थ हो 

  • –  ज्ञानी हो 

  • –  मुक्त हो 

  • –  व्यवहारिक हो 

  • –  जिसने साधना की हो 

  • –  जिसने जीवन को जाना हो 

  • –  जिसने जीवन में स्वयं उताव चढ़ाव अनुभव किये हों

  • –  जिसका स्वयं का जीवन आदर्श व अनुकरणीय हो 

  • –  जो दिशा और दीक्षा दे सके 

कर्म योगी सन्यासी के मार्ग

जो व्यक्ति इन तीन को भली भांति जान लेता है, और इनका सहारा ले कर, अपने स्वयं का मार्ग प्रशस्त कर स्वामित्व प्राप्त करता है. उसका कर्म योगी सन्यासी मार्ग सुगम हो जाता है  

–  यंत्र (तन),  

–  तंत्र (तन के तंत्र जैसे पाचन तंत्र आदि) और 

–  मंत्र (मन के स्वामित्व का मार्ग) 

  और जो व्यक्ति निम्न दो का अनुपालन करता है उसके जीवन में परमसत्य साक्षात प्रवाहित       होता है 

–  साधना (१.अनुशासन २. अभ्यास ३. श्रद्धा ४. समर्पण और ५. वैराग्य )

– व्यवहार (सत व्यव्हार) 

   कर्म योगी सन्यासी -  नाम प्रदान  


वैदिक काल से यह सिद्ध है कि व्यक्ति के जीवन में उसके स्वयं के नाम का प्रभाव स्वयं के जीवन पर पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में तो नाम राशि से जीवन कुंडली निर्मित करने का भी विधान है 

कर्म योगी संन्यासी मार्ग में नाम की बहुत महत्ता है. जो नाम बार बार बोला जाए उसका सीधा प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ता है 

आपको आपके स्वयं के स्वभाव के अनुसार कर्म योगी सन्यासी के नाम का महाप्रसाद गुरुदेव प्रदान करेंगे जो कि आपको आपके आनंद स्वरूप का स्मरण कराते हुए निरन्तर साधना, प्रगति, आनंद  और जीवंतता का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा.

         रुद्राक्ष माला का महाप्रसाद    


आपने योगियों को देखा होगा कि रत्न, हीरे, जवाहरात की माला नहीं धारण करते बल्कि इनसे भी मूल्यवान रुद्राक्ष धारण करते हैं.

अनेक वैज्ञानिक अध्ययन भी यह सिद्ध करते हैं कि रुद्राक्ष जीवन की सफलता, सेहत और मानसिक शांति में बहुत योगदान देता है 

 

रुद्राक्ष अर्थात् भगवान शिव के नेत्र. जिस पर भगवान शिव की कृपा दृष्टि हो सो दुख कैसा पावे. 

 

कर्म योगी संन्यासी दीक्षा प्राप्त करने वाले साधकों को गुरुदेव रुद्राक्ष की माला अभिमंत्रित कर महाप्रसाद के रूप में प्रदान करेंगे जिसका उपयोग साधना के समय धारण कर अपनी शक्ति को शिवमय करने में सहायता मिलती है और विध्वंसक या नकारात्मक शक्तियाँ निकट नहीं आती और अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है 

मंत्र का महाप्रसाद

यदि आपको कोई गाली दे तो आपकी सारी शान्ति और प्रेम धूँ धूँ कर जल उठता है. जीवन जलने और अशांत होने लगता है गाली जो कि मात्र एक शब्द है लेकिन यह राक्षसी मंत्र है जो विनाश लाता है 

 

राक्षसी मंत्र विपरीत दैवीय मंत्र जीवन का उद्धार और दैवीय गुण जाग्रत करते हैं दैवीय मंत्र द्वारा अपनी फ्रीक्वेंसी परमेश्वर की फ्रीक्वेंसी से कैसे मिलाएँ ? 

 

गुरुदेव साधक को व्यक्तिगत मंत्र का मोक्ष प्रसाद प्रदान करेंगें। मंत्र कल्याण और मोक्ष साधन के रूप में आपकी साधना और जीवन मार्ग में सहयोग करेगा।  मंत्र को कैसे जाप करना और कैसे सिद्ध करना भी बतायेंगे

ध्यान का दिव्य प्रसाद 

ध्यान मनुष्य के जीवन को परीपूर्णता, समरसता और दिव्यता प्रदान करता है 

ध्यान में नित्य आप परमेश्वर के साथ लय लीन और एक हो जायें और वापिस आकर अपने दैनिक कर्म बख़ूबी कर सकें. 

 

इस अति महत्वपूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति हेतु गुरुदेव आपको ध्यान का एक अति महत्वपूर्ण दिव्य प्रसाद प्रदान करेंगे. एक संक्षिप्त सारगर्भित ध्यान की विधि जो आप नित्य आसानी से कर सकें और जीवन के परम लक्ष मोक्ष को प्राप्त करें

दिनचर्या  मार्गदर्शन 


अथ  योग अनुशासनं 

अनुशासनहीन जीवन जंगली, अस्त व्यस्त, उलझन भरे जीवन के सामान होता है. जब हम बड़े हो जाएँ तो हम कैसे अनुशासित हों? 

 

 

दिनचर्या एक ऐसा टाइम टेबल जो सर्व मुखी विकास में सहायक हो एक ऐसी दिनचर्या जिससे जीवन के सब पहलुओं को आप प्राप्त कर सके आपके नित्य उज्ज्वल जीवन के लिए एक सरल और प्रैक्टिकल टाइम टेबल का मार्गदर्शन गुरुदेव प्रदान करेंगे

           शक्तिपात 

 

हम सब शक्ति हैं यह आधुनिक विज्ञान भी कहता है
जब हम शक्ति हैं तो हमें अनुभव क्यों नहीं होता?

व्यक्ति अज्ञानता, अहंकार आदि के कारण अपनी शक्ति की दिव्यता के अनुभव 

से वंचित रह जाता  हैं 

शक्तिपात का अर्थात शक्ति का प्रेषण 

भगवान कृष्ण कहते हैं श्रद्धावान लभते ज्ञानं।

सच्ची श्रद्धा और समर्पित भाव से यदि शिष्य उपस्थित हो

तब शक्तिपात की अनुकम्पा प्रवाहित होने  लगती है 

कर्म योगी सन्यासी दीक्षा में क्या क्या प्राप्त होगा?

परम पूज्य गुरुदेव कर्म योगी सन्यासी दीक्षा के समय 

साधक को निम्न अनमोल दिव्य आशीर्वाद और शक्तियां प्रदान करेंगें :

 

१. कर्म योगी सन्यासी सम्पूर्ण जीवन जीने का मार्गदर्शन 

२. व्यक्तिगत सिद्ध मंत्र (मन के पार मोक्ष द्वार हेतु) 

३. अभिमंत्रित रुद्राक्ष माला (तन, मन, ध्यान संतुलित हेतु)

४. शक्ति पात(अपनी स्वयं की शक्तियों के जागरण का मार्ग)

५. विशेष ध्यान विधि (गहन साधना और दिव्य जीवन हेतु)

६. टाइम टेबल  (अनुशासन भरे जीवन हेतु)

 

७. कर्म योगी नाम (आपके सत स्वभाव के अनुसार)

 

कर्म योगी सन्यासी कैसे बने?

श्रद्धेय ओमानंद गुरूजी के सानिध्य में विधिवत दीक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को नयी उज्जवल दिशा देवें।
–  ऑनलाइन या कैंपस में गुरुजी द्वारा पूर्व निर्धारित एक सत्र में निर्देशित बुनियादी दिशा-निर्देशों को समझना, सीखना और दीक्षा ग्रहण करना।  
–  40 दिनों तक बुनियादी दिशा-निर्देशों का अभ्यास और अनुभूत करें और अपनी रिपोर्ट जमा करें: yoga@paramyoga.org

कर्म योगी सन्यासी की दीक्षा कब हो रही है 


विश्व प्रसिद्ध गुरुवर डॉ ओमानंद गुरूजी के सानिध्य में 

कर्म योगी सन्यासी की दीक्षा प्राप्त करें 

दि: 14  सितम्बर, 2024 शनिवार 

समय: सुबह 7:30 से 9:30  बजे 

शुल्क     

योगी संन्यासी बनने के लिए कोई शुल्क नहीं है. गुरु से मिलने वाले दिशा-निर्देश, शिक्षाएँ, दीक्षा और आशीर्वाद अनमोल हैं। यह भारतीय परंपरा रही है कि गुरु के पास खाली हाथ नहीं जाना चाहिए, बल्कि अपनी श्रद्धा-भक्ति के साथ,

यथा योग्य अपनी सामर्थ्य अनुसार गुरु दक्षिणा अर्पण करना चाहिए 

 
 

कर्म योगी सन्यासी समन्वयक समिति

  1. डॉ. रश्मि जोशी (दिव्य चेतना आनंद)  

  2. प्रो. श्वेता काले  (आत्मप्रकाश आनंद)

  3. प्रो. दिव्यदर्शन 

  4. डॉ. रविंद्र कुमार 

  5. श्री ओमप्रकाश टेलर (योगविज्ञानन्द) 

  6. श्री लोकेश कारपेंटर (योगशक्तिआनंद) 

  7. श्री देवेंद्र मेवाड़ा 

 

आनंदमय मिशन 

परमानन्द योग केम्पस,

खंडवा रोड, इंदौर 

ईमेल: yoga@paramyoga.org

Tel: 8839209014

www.beingblissful.org 

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कर्म योगी संन्यासी स्लाइडर

क्या विशेष वस्त्र धारण कर संन्यास से मोक्ष प्राप्त होता है? - ‘कर्म योगी संन्यासी’ बनकर अनुभव करें।

गृहस्थ जीवन में रहते हुए संन्यासी कैसे बनें? - ‘कर्म योगी संन्यासी’ बनकर जानिए।

जीवन में असफलता और तनाव से मुक्ति का उपाय? - ‘कर्म योगी संन्यासी’ बनकर मुक्त जीवन जिएं।

संसार में मन नहीं लगता? - ‘कर्म योगी संन्यासी’ बनकर अपने मन को आनंद से भरपूर करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ज्ञान और कर्म तीतर के दो पंख समान हैं जो उड़ने के लिए आवश्यक है  

– तैत्तरीय उपनिषद

नहीं, संसारी व्यक्ति को भी आत्म साक्षात्कार हो सकता है

हाँ, अपने घर परिवार में रहते हुए सन्यासी हो सकते हो 

मोक्ष जीते जी प्राप्त करो, मरने के बाद नहीं

सच्चे स्व का बोध ही मोक्ष है

भगवान को मानना नहीं बल्कि जानना है, जिससे मुक्ति प्राप्त होती है

किसी को भी परिवार व व्यव्हार त्यागने की आवशयकता नहीं सिवा जागने के

‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर 

‘कर्म योगी सन्यासी’ बताये मार्ग का अनुकरण कर मुक्त जीवन जियें 

 ‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर पूर्ण जीवन जीने से कमियों से मुक्ति होने लगेगी

‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर अपने आनंद स्वरूप को जानो

 नहीं बल्कि ‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर अपने परिवार को और परलोक को सुधारो

‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर जागो और दुःखों के पार हो जाओ 

कर्म योगी सन्यासी’ बनकर अपने आनंद प्रकाश को  जगाओ और अंधेरों को दूर करो

‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर अपने मन को आनंद से भरपूर कर दो 

‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर विकार मुक्ति के मार्ग खोल दो

 जीवन मुक्ति भी है जीवन बंधन भी है, जीवन को जानना मुक्ति है।

जीवन को जीवंतता व पूर्णता के साथ जीना ही जीवन का उद्देश्य है

 कर्मयोगी संन्यासी दीक्षा आपके जीवन के इन तीनों मूल्यों में समन्वय बिठाएगी

नहीं, कोई आग्रह नहीं है. लेकिन वेजिटेरिअन होने से सात्विक विचार बढ़ते हैं 

 नहीं, यथावत बने रहें, बल्कि सम्बन्ध और प्रगाढ़ होंगे

कोई कठोर तप नहीं करना। गुरूजी के बताये मार्गदर्शन के अनुसार अपना  सहज-सरल जीवन जीना है

कर्मयोगी संन्यासी बन कर अपने आनंद स्वरूप को जानने के द्वार खुलते हैं

चार श्रेणी के मनुष्य होते हैं – १. भोगी (भौतिकवादी) २. योगी (आध्यात्मिक साधक) ३. संन्यासी (आध्यात्मिक गुरु) और ४. ज्ञानी (स्वयं को जानने वाला) – अध्याय ५  गीता 

इस कर्म योगी संन्यासी दीक्षा से आप न केवल अपने जीवन का रूपांतरण करेंगे बल्कि अपने परिवार और समाज का भी मार्गदर्शन कर सकेंगे। जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता, शांति और संतुलन प्राप्त करें।