कर्म योगी सन्यासी - नाम प्रदान
रुद्राक्ष माला का महाप्रसाद
ध्यान का दिव्य प्रसाद
दिनचर्या मार्गदर्शन
कर्म योगी सन्यासी की दीक्षा कब हो रही है
क्या विशेष वस्त्र धारण कर संन्यास से मोक्ष प्राप्त होता है? - ‘कर्म योगी संन्यासी’ बनकर अनुभव करें।
गृहस्थ जीवन में रहते हुए संन्यासी कैसे बनें? - ‘कर्म योगी संन्यासी’ बनकर जानिए।
जीवन में असफलता और तनाव से मुक्ति का उपाय? - ‘कर्म योगी संन्यासी’ बनकर मुक्त जीवन जिएं।
संसार में मन नहीं लगता? - ‘कर्म योगी संन्यासी’ बनकर अपने मन को आनंद से भरपूर करें।
ज्ञान और कर्म तीतर के दो पंख समान हैं जो उड़ने के लिए आवश्यक है
– तैत्तरीय उपनिषद
नहीं, कर्म और सन्यास का समन्यव मोक्ष प्रदाता है – गीता
नहीं, संसारी व्यक्ति को भी आत्म साक्षात्कार हो सकता है
हाँ, अपने घर परिवार में रहते हुए सन्यासी हो सकते हो
मोक्ष जीते जी प्राप्त करो, मरने के बाद नहीं
सच्चे स्व का बोध ही मोक्ष है
भगवान को मानना नहीं बल्कि जानना है, जिससे मुक्ति प्राप्त होती है
किसी को भी परिवार व व्यव्हार त्यागने की आवशयकता नहीं सिवा जागने के
‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर
‘कर्म योगी सन्यासी’ बताये मार्ग का अनुकरण कर मुक्त जीवन जियें
‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर पूर्ण जीवन जीने से कमियों से मुक्ति होने लगेगी
‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर अपने आनंद स्वरूप को जानो
नहीं बल्कि ‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर अपने परिवार को और परलोक को सुधारो
‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर जागो और दुःखों के पार हो जाओ
‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर अपने आनंद प्रकाश को जगाओ और अंधेरों को दूर करो
‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर अपने मन को आनंद से भरपूर कर दो
‘कर्म योगी सन्यासी’ बनकर विकार मुक्ति के मार्ग खोल दो
जीवन मुक्ति भी है जीवन बंधन भी है, जीवन को जानना मुक्ति है।
जीवन को जीवंतता व पूर्णता के साथ जीना ही जीवन का उद्देश्य है
इस कमी को पूरा करें कर्मयोगी संस्यासी बनकर।
कर्मयोगी संन्यासी दीक्षा आपके जीवन के इन तीनों मूल्यों में समन्वय बिठाएगी
कर्मयोगी संन्यासी जीवन की सफलता का सूत्र है
नहीं, कोई आग्रह नहीं है. लेकिन वेजिटेरिअन होने से सात्विक विचार बढ़ते हैं
नहीं, यथावत बने रहें, बल्कि सम्बन्ध और प्रगाढ़ होंगे।
कोई कठोर तप नहीं करना। गुरूजी के बताये मार्गदर्शन के अनुसार अपना सहज-सरल जीवन जीना है
कर्मयोगी संन्यासी बन कर अपने आनंद स्वरूप को जानने के द्वार खुलते हैं
चार श्रेणी के मनुष्य होते हैं – १. भोगी (भौतिकवादी) २. योगी (आध्यात्मिक साधक) ३. संन्यासी (आध्यात्मिक गुरु) और ४. ज्ञानी (स्वयं को जानने वाला) – अध्याय ५ गीता